
जीवों में अल्प-बहुत्व
अन्वयार्थ : गर्भज पर्याप्त मनुष्य < मनुष्यिनि < सर्वार्थसिद्धि देव << बादर पर्याप्त तेजस्कायिक << अनुत्तर < अनुदिश < नवें ग्रैवेयक देव < आठवें ग्रैवेयक देव < सातवें ग्रैवेयक देव < छठे ग्रैवेयक देव < पांचवें ग्रैवेयक देव < चौथे ग्रैवेयक देव < तीसरे ग्रैवेयक देव < दूसरे ग्रैवेयक देव < पहले ग्रैवेयक देव < आरण-अच्युत देव < आनत-प्राणत देव << सप्तम-पृथिवी नारकी << छठी पृथिवी नारकी << शतार-सहस्रार देव << शुक्र-महाशुक्र देव << पंचम-पृथिवी नारकी << लान्तव-कापिष्ठ देव << चतुर्थ पृथिवी नारकी << ब्रह्म-ब्रह्मोत्तर देव << तृतीय-पृथिवी नारकी << माहेन्द्र देव << सानत्कुमार देव << द्वितीय पृथिवी नारकी << अपर्याप्त मनुष्य << ईशान देव < ईशान देवियाँ < सौधर्म देव < सौधर्म देवियाँ << प्रथम पृथिवी नारकी << भवनवासी देव < भवनवासी देवियाँ << पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनिनी << व्यंतर देव < व्यंतर देवियाँ < ज्योतिष देव < ज्योतिष देवियाँ < चतुरिंद्रिय पर्याप्त << पंचेन्द्रिय पर्याप्त << द्विन्द्रिय पर्याप्त << त्रीन्द्रिय पर्याप्त << पंचेन्द्रिय अपर्याप्त << चतुरिंद्रिय अपर्याप्त << त्रीन्द्रिय अपर्याप्त << द्विन्द्रिय अपर्याप्त << बादर प्रत्येक वनस्पतिकायिक << बादर पर्याप्त निगोदप्रतिष्ठित << बादर पर्याप्त पृथिविकायिक << बादर पर्याप्त जलकायिक << बादर पर्याप्त वायुकायिक << बादर अपर्याप्त अग्निकायिक << बादर अपर्याप्त प्रत्येक वनस्पति << बादर अपर्याप्त प्रतिष्ठित << बादर अपर्याप्त पृथिवीकायिक << बादर अपर्याप्त जलकायिक << बादर अपर्याप्त वायुकायिक << सूक्ष्म अपर्याप्त अग्निकायिक << सूक्ष्म अपर्याप्त पृथिवीकायिक << सूक्ष्म अपर्याप्त जलकायिक << सूक्ष्म अपर्याप्त वायुकायिक << सूक्ष्म पर्याप्त अग्निकायिक << सूक्ष्म पर्याप्त पृथिवीकायिक << सूक्ष्म पर्याप्त वायुकायिक << सूक्ष्म पर्याप्त जलकायिक <<< सिद्ध जीव <<< बादर पर्याप्त वनस्पतिकायिक << बादर अपर्याप्त वनस्पतिकायिक << बादर वनस्पतिकायिक << सूक्ष्म अपर्याप्त वनस्पतिकायिक < सूक्ष्म पर्याप्त वनस्पतिकायिक < सूक्ष्म वनस्पतिकायिक < वनस्पतिकायिक < निगोद जीव'<' = संख्यात अधिक
'<<' = असंख्यात अधिक
'<<<' = अनंत अधिक
विशेष