विशेष :
|
नव नारायण निर्देश |
| 1 |
2 |
3 |
4 |
5 |
6 |
7 |
8 |
9 |
| वर्तमान-भव |
नाम |
त्रिपृष्ठ |
द्विपृष्ठ |
स्वयंभू |
पुरुषोत्तम |
पुरुषसिंह |
पुरुषपंडरीक |
दत्त / पुरुषदत्त |
नारायण / लक्ष्मण |
कृष्ण |
| नगर |
पोदनपुर |
द्वापुरी / द्वारावती |
हस्तिनापुर / द्वारावती |
चक्रपुर / खगपुर |
कुशाग्रपुर / चक्रपुर |
मिथिला / बनारस |
अयोध्या / बनारस |
मथुरा |
| पिता |
प्रजापति |
ब्रह्म / ब्रह्मभूति |
भद्र / रौद्रनाद |
सोमप्रभ / सोम |
सिंहसेन / प्रख्यात |
वरसेन / शिवाकर |
अग्निशिख / सममूर्धाग्निनाद |
दशरथ |
वसुदेव |
| माता |
मृगावती |
माधवी (ऊषा) |
पृथिवी |
सीता |
अम्बिका |
लक्ष्मी |
कोशिनी |
कैकेयी |
देवकी |
| पटरानी |
सुप्रभा |
रूपिणी |
प्रभवा |
मनोहरा |
सुनेत्रा |
विमलसुन्दरी |
आनन्दवती |
प्रभावती |
रुक्मिणी |
| शरीर |
स्वर्णवत् / नील व कृष्ण, समचतुरस्र संस्थान, वज्रऋषभ नाराच संहनन |
| उत्सेध |
८० धनुष |
७० धनुष |
६० धनुष |
५० धनुष |
४५ धनुष |
२९ धनुष |
२२ धनुष |
१६ धनुष |
१० धनुष |
| आयु |
८४ लाख वर्ष |
७२ लाख वर्ष |
६० लाख वर्ष |
३० लाख वर्ष |
१० लाख वर्ष |
६५००० /५६००० वर्ष |
३२००० वर्ष |
१२००० वर्ष |
१००० वर्ष |
| कुमार काल |
२५००० वर्ष |
२५००० वर्ष |
१२५०० वर्ष |
७०० वर्ष |
३०० वर्ष |
२५० वर्ष |
२०० वर्ष |
१०० वर्ष |
१६ वर्ष |
| मण्डलीक काल |
२५००० |
२५००० |
१२५०० |
१३०० |
१२५० |
२५० |
५० |
३०० |
५६ |
| विजय काल |
१००० वर्ष |
१०० वर्ष |
९० वर्ष |
८० वर्ष |
७० वर्ष |
६० वर्ष |
५० वर्ष |
४० वर्ष |
८ वर्ष |
| राज्य काल |
८३४९००० |
७१४९९०० |
५९७४९१० |
२९९७९२० |
९९८३८० |
६४४४० |
३१७०० |
११५६० |
९२० |
| *निर्गमन |
सप्तम नरक |
षष्ठ नरक |
षष्ठ नरक |
षष्ठ नरक |
षष्ठ नरक |
षष्ठ नरक |
पंचम नरक |
चतुर्थ नरक |
तृतीय नरक |
| प्रथम पूर्व भव |
स्वर्ग |
महाशुक्र |
प्राणत |
लान्तव |
सहस्रार |
ब्रह्म (२ माहेन्द्र) |
माहेन्द्र (२ सौधर्म) |
माहेन्द्र (२ सौधर्म) |
सनत्कुमार |
महाशुक्र |
| द्वितीय पूर्व भव |
नाम |
विश्वनन्दी |
पर्वत |
धनमित्र |
सागरदत्त |
विकट |
प्रियमित्र |
मानसचेष्टित |
पुनर्वसु |
गंगदेव |
| नगर |
हस्तिनापुर |
अयोध्या |
श्रावस्ती |
कौशाम्बी |
पोदनपुर |
शैलनगर |
सिंहपुर |
कौशाम्बी |
हस्तिनापुर |
| दीक्षा गुरु |
सम्भूत |
सुभद्र |
वसुदर्शन |
श्रेयांस |
सुभूति |
वसुभूति |
घोषसेन |
पराम्भोधि |
द्रुमसेन |
| *म.पु./की अपेक्षा सभी सप्तम नरक में गये हैं । |
|