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भवनवासी देवों में इंद्र परिवार

  विशेष 

विशेष :


भवनवासी देवों में इंद्र परिवार
असुरकुमार नागकुमार सुपर्णकुमार द्वीपकुमार उदधिकुमार स्तनित कुमार विद्युत कुमार दिक्कुमार अग्निकुमार वायुकुमार
दक्षिण उत्तर दक्षिण उत्तर दक्षिण उत्तर दक्षिण उत्तर दक्षिण उत्तर दक्षिण उत्तर दक्षिण उत्तर दक्षिण उत्तर दक्षिण उत्तर दक्षिण उत्तर
इन्द्र चमर वैरोचन भूतानंद धरणानंद वेणु वेणुधारी पूर्ण वशिष्ठ जलप्रभ जलकांत घोष महाघोष हरिषेण हरिकांत अमितगती अमितवाहन अग्निशिखी अग्निवाहन वेलंब प्रभंजन कुल
भवन 34 लाख 30 लाख 34 लाख 40 लाख 38 लाख 34 लाख 40 लाख 36 लाख 40 लाख 36 लाख 40 लाख 36 लाख 40 लाख 36 लाख 40 लाख 36 लाख 40 लाख 36 लाख 50 लाख 46 लाख 7,72,00,000
मुकुट चूडामणि सर्प गरुड हाथी मगर वर्धमान वज्र सिंह कलश घोडा
वर्ण कृष्ण काल श्याम श्याम श्याम काल श्याम काल श्याम बिजलीवत् श्यामल अग्निज्वालावातवत् नीलकमल
चैत्यवृक्ष अश्वत्थ सप्तवर्ण शाल्मली जामुन वेतस कदंब प्रियंगु शिरीष पलाश राजद्रुम
इंद्र आहार का अंतराल 1000 वर्ष साढ़े 12 दिन साढ़े 12 दिन साढ़े 12 दिन 12 दिन 12 दिन 12 दिन साढ़े 7 दिन साढ़े 7 दिन साढ़े 7 दिन
श्वासोच्छ्वास का अंतराल 15 दिन साढ़े 12 मुहूर्त साढ़े 12 मुहूर्त साढ़े 12 मुहूर्त 12 मुहूर्त 12 मुहूर्त 12 मुहूर्त 7 मुहूर्त 7 मुहूर्त 7 मुहूर्त
आयु 1 सागर 3 पल्य ढाई पल्य 2 पल्य 1 पल्य 1 पल्य 1 पल्य 1 पल्य 1 पल्य 1 पल्य
प्रतीन्द्र 1 20
सामानिक 64k 60k 53k 50k 10,30,000
त्रायस्त्रिंशत 33 660
पारिषद अभ्यंतर 'समित' 28k 26k 6k 4k 1,28,000
मध्य 'चंद्रा' 30k 28k 8k 6k 1,68,000
बाह्य 'युक्त' 32k 30k 10k 8k 2,08,000
आत्मरक्ष 256k 240k 224k 200k 41,20,000
लोकपाल 4 80
7 अनीक में से प्रत्येक 8128k 7320k 7112k 6350k
प्रकीर्णक असंख्यात
अभियोग्य और किल्विषक प्रमाण उपलब्ध नहीं है
देवियाँ इन्द्र, प्रतीन्द्र, सामानिक, त्रायस्त्रिंशत पटदेवी 5
परिवार देवी 5 * 8k = 40k
वल्लभा देवी 16k 10k 40k 20k
कुल 56k 50k 44k 32k
पारिषद अभ्यंतर 'समित' 250 300 200 200 160 160 140
मध्य 'चंद्रा' 200 250 160 160 140 140 120
बाह्य 'युक्त' 150 200 140 140 120 120 100
आत्मरक्ष 100
सैनासुर 50
किल्विषक 100
आभियोग्य 32
प्रत्येक इंद्र के सोम, यम, वरुण और कुबेर नामक, चार-चार रक्षक लोकपाल होते है जो क्रम से पूर्व, पश्चिम आदि दिशाओं में होते है । ये परिवार में तंत्रपालो के समान होते है ।
दस हजार वर्ष वाली जघन्य आयु वाले देवों का आहार दो दिन में तो पल्योपम की आयु वालो का पाँच दिन में भोजन का अवसर आता है.
दस हजार वर्ष वाली आयु वाले देव ७ श्वासोच्छ्वास प्रमाण काल के बाद, और पल्योपम की आयु वाले पाँच मुहुर्त के बाद उच्छवास लेते है
तत्त्वार्थ राजवार्तिक -- 4/10