चेतनवंत अनंत गुन, परजै सकति अनंत ।
अलख अखंडित सर्वगत, जीव दरव विरतंत ॥२०॥
अन्वयार्थ : चैतन्यरूप है, अनन्त गुण, अनन्त पर्याय और अनन्त-शक्ति सहित है, इंद्रियगोचर नहीं है, अखण्डित है, सर्वव्यापी है। यह जीवद्रव्य का स्वरूप कहा है ॥२०॥अलख=इंद्रियगोचर नहीं है; सर्वगत=सब लोक में फैला