+ मोक्ष का वर्णन -
(दोहरा)
थिति पूरन करि जो करम, खिरै बंधपद भानि ।
हंस अंस उज्जल करै, मोक्ष तत्त्व सो जानि ॥३४॥
अन्वयार्थ : (दोहरा)
थिति पूरन करि जो करम, खिरै बंधपद भानि ।
हंस अंस उज्जल करै, मोक्ष तत्त्व सो जानि ॥३४॥