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आकाश के नाम
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(दोहरा)
खं विहाय अंबर गगन अंतरिच्छ जगधाम ।
व्योम वियत नभ मेघपथ, ये अकाशके नाम ॥३८॥
अन्वयार्थ :
(दोहरा)
खं विहाय अंबर गगन अंतरिच्छ जगधाम ।
व्योम वियत नभ मेघपथ, ये अकाशके नाम ॥३८॥