
प्रभाचन्द्र :
ग्राम और अरण्य, ये दो प्रकार के निवास स्थान, अनात्मदर्शियों (जिनको आत्मा का अनुभव / उपलब्धि नहीं हुई, वैसे लोग) के लिए हैं परन्तु जिनको आत्मा का अनुभव हुआ है, जिनको आत्म-स्वरूप की उपलब्धि हुई है, वैसे (ज्ञानी) लोगों के लिए तो निवास स्थान विविक्त, अर्थात् विमुक्त आत्मा ही, अर्थात् रागादि रहित शुद्ध आत्मा ही है, जो निश्चल, अर्थात् चित्त की आकुलता से रहित है ॥७३॥ अनात्मदर्शी और आत्मदर्शी के फल को दर्शाते हुए कहते हैं -- |