प्रमेयत्वादिभिर्धर्मैरचिदात्मा चिदात्मकः ।
ज्ञानदर्शनतस्तस्माच्चेतनाचेतेतनात्मकः ॥3॥
अन्वयार्थ : [पम्रेयत्वादिभिः धर्मैः] प्रमेयत्व आदि धर्मों के द्वारा, [अचिदात्मा] अचेतन-रूप है, [ज्ञानदर्शनतः] ज्ञान और दर्शन-गुण से, [चिदात्मकः] चेतन-रूप है, [तस्मात्] इस कारण, [चेतनाचेतनात्मकः] चेतन-अचेतनात्मक है ॥३॥