
पुण्णेण होइ विहवो विहवेण मओ मएण मइ-मोहो ।
मइ-मोहेण य पावं ता पुण्णं अम्ह मा होउ ॥60॥
पुण्येन भवति विभवो विभवेन मदो मदेन मतिमोहः ।
मतिमोहेन च पापं तस्मात् पुण्यं अस्माकं मा भवतु ॥६०॥
अन्वयार्थ : [पुण्येन विभवः] पुण्य से धन [भवति] होता है, और [विभवेन] धन से [मदः] अभिमान, [मदेन] मान से [मतिमोहः] बुद्धि-भ्रम होता है, [मतिमोहेन] बुद्धि के भ्रम होने से [पापं] पाप होता है, [तस्मात्] इसलिये [पुण्यं] ऐसा पुण्य [अस्माकं] हमारे [मा भवतु] न होवे ।
Meaning : By Punya one gains Vibhuti ; Vibhuti creates Garbha ; by Garbha is generated Murha-buddhi ; and Murha-buddhi leads to bondage: may such a Punya keep away from me.
श्रीब्रह्मदेव