+ अज्ञानी के ख्याति-लाभ-पूजा द्वारा संसार -
चट्टहिँ पट्टहिँ कुंडियहिँ चेल्ला-चेल्लियएहिँ ।
मोहु जणेविणु मुणिवरहँ उप्पहि पाडिय तेहिँ ॥89॥
चट्टैः पट्टैः कुण्डिकाभिः शिष्यार्जिकाभिः ।
मोहं जनयित्वा मुनिवराणां उत्पथे पातितास्तैः ॥८९॥
अन्वयार्थ : [चट्टैः पट्टैः कुंडिकाभिः] पीछी, कमंडल, पुस्तक और [शिष्यार्जिकाभिः] शिष्य, अर्जिका, श्राविका इत्यादि [मुनिवराणां] मुनिवरों को [मोहं जनयित्वा] मोह उत्पन्न कराके [तैः उत्पथे] वे उन्मार्ग (खोटे मार्ग) में [पातिताः] डाल देते हैं ।
Meaning : Pen, inkstand, paper, etc., and disciples--all these, if they create Moha (attachment) in the minds of saints, cause them to fall down from the path of progress.

  श्रीब्रह्मदेव