
बुज्झंतहँ परमत्थु जिय गुरु लहु अत्थि ण कोइ ।
जीवा सयल वि बंभु परु जेण वियाणइ सोइ ॥94॥
बुध्यमानानां परमार्थं जीव गुरुः लघुः अस्ति न कोऽपि ।
जीवाः सकला अपि ब्रह्म परं येन विजानाति सोऽपि ॥९४॥
अन्वयार्थ : [जीव] हे जीव, [परमार्थं] परमार्थ को [बुध्यमानानां] समझने वालों के [कोऽपि] कोई भी [गुरुः लघुः] बड़ा छोटा [न अस्ति] नहीं है, [सकला अपि] सभी [जीवाः] जीव [परब्रह्म] परब्रह्मस्वरूप हैं, [येन] ऐसा [सोऽपि] वह भी [विजानाति] जानता है ।
Meaning : Those who know the Parmartha, say that there is no inequality among the souls; all Jivas are Par-Brahma.
श्रीब्रह्मदेव