
जीवहँ भेउ जि कम्म-किउ कम्मु वि जीउ ण होइ ।
जेण विभिण्णउ होइ तहँ कालु लहेविणु कोइ ॥106॥
जीवानां भेद एव कर्मकृतः कर्म अपि जीवो न भवति ।
येन विभिन्नः भवति तेभ्यः कालं लब्ध्वा कमपि ॥१०६॥
अन्वयार्थ : [जीवानां भेदः] जीवों में भेद [कर्मकृत एव] कर्मों से ही किया गया है, और [कर्म अपि] कर्म भी [जीवः न भवति] जीव नहीं हो सकता [येन] क्योंकि [कमपि कालं लब्ध्वा] किसी समय को पाकर [तेभ्यः विभिन्नः भवति] उन से जुदा हो जाता है ।
Meaning : The variety which is found among the Jivas is caused by their Karmas, but the Karmas do not become the Jiva , because at the proper time they become separated from it.
श्रीब्रह्मदेव