
भल्लाहँ वि णासंति गुण जहँ संसग्ग खलेहिं ।
वइसाणरु लोहहँ मिलिउ तें पिट्टियइ घणेहिं ॥110॥
भद्राणामपि नश्यन्ति गुणाः येषां संसर्गः खलैः ।
वैश्वानरो लोहेन मिलितः तेन पिट्टयते घनैः ॥११०॥
अन्वयार्थ : [खलैः सह येषां] दुष्टों के साथ जिनका [संसर्गः] संबंध है, वह [भद्राणाम् अपि] उन विवेकी जीवों के भी [गुणाः नश्यन्ति] गुण नष्ट हो जाते हैं, जैसे [वैश्वानरः लोहेन] आग लोहे से [मिलितः] मिल जाती है, [तेन घनैः पिट्टयते] तभी घनों से पीटी जाती है ।
Meaning : Uttama Gunas are destroyed by the company of evil persons; as owing to the association of iron, fire is also beaten by hammer.
श्रीब्रह्मदेव