
जोइय सयलु वि कारिमउ णिक्कारिमउ ण कोइ ।
जीविं जंतिं कुडि ण गय इहु पडिछंदा जोइ ॥129॥
योगिन् सकलमपि कृत्रिमं निःकृत्रिमं न किमपि ।
जीवेन यातेन देहो न गतः इमं द्रष्टान्तं पश्य ॥१२९॥
अन्वयार्थ : [योगिन्] हे योगी, [सकलमपि कृत्रिमं] सभी-कुछ कर्म-कृत है, [निःकृत्रिमं किमपि न] अकृत्रिम कुछ भी नहीं है, [जीवेन यातेन] जीव के जाने पर [देहो न गतः] शरीर नहीं जाता, [इमं दृष्टांतं पश्य] इसी दृष्टान्त को देख ।
Meaning : None of the objects and actions of the world is unperishing, or eternal; even one's body does not go with one on death.
श्रीब्रह्मदेव