+ एक शुद्धात्मा को छोड़कर सब-कुछ विनाशीक -
एक्कु जि मेल्लिवि बंभु परु भुवणु वि एहु असेसु ।
पुहविहिँ णिम्मउ भंगुरउ एहउ बुज्झि विसेसु ॥131॥
एकं मेव मुक्त्वा ब्रह्म परं भुवनमपि एतद् अशेषम् ।
पृथिव्यां निर्मापितं भंगुरं एतद् बुध्यस्व विशेषम् ॥१३१॥
अन्वयार्थ : [एकं परं ब्रह्म एव] एक शुद्ध जीव-द्रव्यरूप परब्रह्म को [मुक्त्वा] छोड़कर [पृथिव्यां] इस लोक में [इदं अशेषम् भुवनमपि निर्मापितं] इस समस्त लोक के पदार्थों की रचना है, वह सब [भंगुरं] विनाशीक है, [एतद् विशेषम्] इस विशेष बात को तू [बुध्यस्व] जान ।
Meaning : Except the one Parama-Brahma, all the states and conditions which are seen in the world are perishable ; know it to be so.

  श्रीब्रह्मदेव