
संता विसय जु परिहरइ बलि किज्जउँ हउँ तासु ।
सो दइवेण जि मुंडियउ सीसु खडिल्लउ जासु ॥139॥
सतः विषयान् यः परिहरति बलिं करोमि अहं तस्य ।
स दैवेन एव मुण्डितः शीर्षं खल्वाटं यस्य ॥१३९॥
अन्वयार्थ : [यः] जो [सतः विषयान्] विद्यमान विषयों को [परिहरति] छोड़ देता है, [तस्य] उसकी [अहं] मैं [बलिं] पूजा [करोमि] करता हूँ, क्योंकि [यस्य शीर्षं] जिसका शिर [खल्वाटं] गंजा है, [सः] वह तो [दैवेन एव] दैव द्वारा ही [मुंडितः] मूड़ा हुआ है ।
Meaning : Those saints who give up sensual pleasurez deserve encomium; one who is bald, deserves no credit for having his head shaved.
श्रीब्रह्मदेव