+ जीतेंद्रिय होकर शुद्धात्मा का अनुभव कर -
विसयासत्तउ जीव तुहुँ कित्तिउ कालु गमीसि ।
सिव-संगमु करि णिच्चलउ अवसइँ मुक्खु लहीसि ॥141॥
विषयासक्त: जीव त्वं कियन्तं कालं गमिष्यसि ।
शिवसंगमं कुरु निश्चलं अवश्यं मोक्षं लभसे ॥१४१॥
अन्वयार्थ : [जीव त्वं विषयासक्तः] हे जीव, तू विषयों में आसक्त हो [कियंतं कालं गमिष्यसि] कितना काल गँवाएगा [शिवसंगमं] अब तो शुद्धात्मा का अनुभव [निश्चलं कुरु] निश्चल होकर कर, [अवश्यं मोक्षं लभसे] अवश्य मोक्ष को प्राप्त करेगा ।
Meaning : O Soul ! Being fascinated with the enjoyment of sensual pleasures, how long wilt thou roam about in Samsara ? Now having become Nischaya (calm and steady), a33ociate thyself with Shiva (i.e., concentrate thy mind upon the pure - nature of thy Atman), so that thou shouldst necessarily obtain Moksha..

  श्रीब्रह्मदेव