+ घर-वास पाप वास है -
घर-वासउ मा जाणि जिय दुक्किय-वासउ एहु ।
पासु कयंतेँ मंडियउ अविचलु णिस्संदेहु ॥144॥
गृहवासं मा जानीहि जीव दुष्कृतवास एषः ।
पाशः कृतान्तेन मण्डितः अविचलः निस्सन्देहम् ॥१४४॥
अन्वयार्थ : [जीव] हे जीव, तू इसको [गृहवासं] घर-वास [मा जानीहि] मतजान, [एषः] यह [दृष्कृतवासः] पाप का निवास-स्थान है, [कृतांतेन] यमराज ने (काल ने) [पाशःमंडितः] अनेक फाँसों से मंडित [अविचलः] बहुत मजबूत (बंदीखाना) बनाया है, इसमें [निस्संदेहम्] सन्देह नहीं है ।
Meaning : Do not regard' thy household, s.e., wife, children, etc., except as a gallows ere:ted for th22 to be hanged upon ; therefore it is desirable that thou. shouldst give them up.

  श्रीब्रह्मदेव