जइ बीहउ चउ-गइ-गमणु, तउ परभाव चएवि
अप्पा झायहि णिम्मलउ, जिम सिव-सुक्ख लहेवि ॥5॥
भयभीत है यदि चर्तुगति से त्याग दे परभाव को
परमातमा का ध्यान कर तो परमसुख को प्राप्त हो ॥
अन्वयार्थ : [जइ बीहउ चउ-गइ-गमणु] यदि चतुर्गति के भ्रमण से भयभीत है, [तउ परभाव चएवि] तो परभाव का त्याग कर और [अप्पा झायहि णिम्मलउ] निर्मल आत्मा का ध्यान कर, [जिम सिव-सुक्ख लहेवि] ताकि मोक्ष-सुख को प्राप्त कर सके ।