णिम्मलु णिक्कलु सुद्धु जिणु, विण्हु बुद्धु सिवु संतु
सो परमप्पा जिण-भणिउ, एहउ जाणि णिभंतु ॥9॥
जो शुद्ध शिव जिन बुद्ध विष्णु निकल निर्मल शान्त है
बस है वही परमातमा जिनवर-कथन निर्भ्रान्त है ॥
अन्वयार्थ : जो [णिम्मलु] निर्मल है, [णिक्कलु] निष्कल है, [सुद्धु] शुद्ध है, [जिणु] जिन है, [विण्हु] विष्णु है, [बुद्धु] बुद्ध है, [सिवु] शिव है और [संतु] शान्त है [सो परमप्पा जिण-भणिउ] उसे जिनेन्द्रदेव ने परमात्मा कहा है - [एहउ जाणि णिभंतु] ऐसा निःसन्देह जानो ।