देहादिउ जे पर कहिय, ते अप्पाणु मुणेइ
सो बहिरप्पा जिण-भणिउ, पुणु संसार भमेइ ॥10॥
जिनवर कहे देहादि पर जो उन्हें ही निज मानता
संसार-सागर में भ्रमे वह आतमा बहिरातमा ॥
अन्वयार्थ : [देहादिउ जे पर कहिया] देह आदि जो कि पर कहे गये हैं, [ते अप्पाणु मुणेइ] उनको आत्मा समझता है, [सो बहिरप्पा जिण-भणिउ] उसे जिनेन्द्र देव ने बहिरात्मा कहा है, [पुणु संसार भमेइ] वह संसार में पुनः पुनः परिभ्रमण करता है ।