परिणामे बंधुजि कहिउ, मोक्ख वि तह जि वियाणि
इउ जाणेविणु जीव तुहुँ, तहभावहु परियाणि ॥14॥
परिणाम से ही बंध है अर मोक्ष भी परिणाम से
यह जानकर हे भव्यजन ! परिणाम को पहिचानिये ॥
अन्वयार्थ : [परिणामे बंधुजि कहिउ] परिणाम से ही बंध कहा है और [मोक्ख वि तह जि वियाणि] वैसे ही मोक्ष भी कहा है, [इउ जाणेविणु जीव ] हे जीव ! ऐसा समझकर [तुहुँ तहभावहु परियाणि] तू उन भावों की पहिचान कर ।