अप्पादंसण इक्क परु, अण्णु ण किं पि वियाणि
मोक्खह कारण जोइया, णिच्छह एहउ जाणि ॥16॥
निज आतमा को जानना ही एक मुक्तिमार्ग है
कोइ अन्य कारण है नहीं हे योगिजन! पहिचान लो ॥
अन्वयार्थ : [अप्पादंसण इक्क परु] एक आत्मदर्शन को छोड़कर [मोक्खह कारण] मोक्ष का कारण [अण्णु ण किं पि वियाणि] अन्य किसी को भी नहीं जान - [जोइया] हे योगी ! [णिच्छह एहउ जाणि] ऐसा तू निश्चित रूप से जान ।