सुद्धप्पा अरु जिणवरहँ, भेउ म किमपि वियाणि
मोक्खह कारण जोइया, णिच्छइ एउ वियाणि ॥20॥
मोक्षमग में योगिजन यह बात निश्चय जानिये
जिनदेव अर शुद्धातमा में भेद कुछ भी है नहीं ॥
अन्वयार्थ : [सुद्धप्पा अरु जिणवरहँ] शुद्धात्मा और जिनवर में [भेउ म किमपि वियाणि] कुछ भी अन्तर मत जान; [मोक्खह कारण] मोक्ष का कारण [जोइया] हे योगी ! [णिच्छइ एउ वियाणि] यही निश्चित रूप से समझो ।