चउरासी लक्खह फिरिउ, काल अणाइ अणंतु
पर सम्मत्त ण लद्धु जिउ, एहउ जाणि णिभंतु ॥25॥
योनि लाख चुरासि में बीता अनन्ता काल है
पाया नहीं सम्यक्त्व फिर भी बात यह निर्भ्रान्त है ॥
अन्वयार्थ : [चउरासी लक्खह फिरिउ] चौरासी लाख योनियों में परिभ्रमण [काल अणाइ अणंतु] अनादि-अनन्त काल से किया [पर सम्मत्त ण लद्धु जिउ] परन्तु इस जीव ने कभी सम्यक्त्व को प्राप्त नहीं किया [एहउ जाणि णिभंतु] ऐसा निश्चित समझो ।