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अप्पा अप्पइ जो मुणइ, जो परभाव चएइ
सो पावइ सिवपुरि-गमणु, जिणवर एउ भणेइ ॥34॥
परभाव को परित्याग कर अपनत्व आतम में करे
जिनदेव ने ऐसा कहा शिवपुर गमन वह नर करे ॥
अन्वयार्थ : [अप्पा अप्पइ जो मुणइ] आत्मा से आत्मा को जानता हुआ [जो परभाव चएइ] जो परभाव को छोड़ देता है, [सो पावइ सिवपुरि-गमणु] वह शिवपुर को जाता है [जिणवर एउ भणेइ] ऐसा जिनेन्द्र देव कहते हैं ।