जइ णिम्मलु अप्पा मुणहि, छंडिवि सहु ववहारु
जिण-सामिउ एमइ भणइ, लहु पावहु भवपारु ॥37॥
जिनदेव ने ऐसा कहा निज आतमा को जान लो
यदि छोड़कर व्यवहार सब तो शीघ्र ही भवपार हो ॥
अन्वयार्थ : [छंडिवि सहु ववहारु] सर्व व्यवहार को छोड़कर [जइ णिम्मलु अप्पा मुणहि] यदि निर्मल आत्मा को ध्यावे तो [जिण-सामिउ एमइ भणइ] जिनस्वामी कहते हैं कि [लहु पावहु भवपारु] शीघ्र संसार से पार हो जाए ।