सत्थ पढंतह ते वि जड, अप्पा जे ण मुणंति
तहिँ कारणि ए जीव फुडु, ण हु णिव्वाणु लहंति ॥53॥
शास्त्र पढ़ता जीव जड़ पर आतमा जाने नहीं
बस इसलिए ही जीव यह निर्वाण को पाता नहीं ॥
अन्वयार्थ : [सत्थ पढंतह ते वि जड] शास्त्रों को पढ़ते हुए भी वे जड़ ही हैं [अप्पा जे ण मुणंति] जो आत्मा को नहीं जानते, [तहिँ कारणि ए जीव फुडु] स्पष्टत: इसीकारण से वे जीव [ण हु णिव्वाणु लहंति] निर्वाण को नहीं प्राप्त करते हैं ।