+ आकाश के समान होकर भी मैं सचेतन हूँ -
जेहउ सुद्ध अयासु जिय, तेहउ अप्पा वुत्तु
आयासु वि जडु जाणि जिय, अप्पा चेयणुवंतु ॥59॥
आकाश सम ही शुद्ध है निज आतमा परमातमा
आकाश है जड़ किन्तु चेतन तत्त्व तेरा आतमा ॥
अन्वयार्थ : [जेहउ सुद्ध अयासु जिय] जैसा आकाश शुद्ध है हे जीव ! [तेहउ अप्पा वुत्तु] वैसा ही आत्मा कहा गया है, [आयासु वि जडु जाणि] आकाश तो जड़ है, [जिय, अप्पा चेयणुवंतु] हे जीव ! आत्मा चेतन है ।