सर्वोपि जीवलोकः श्रोतुं कामो वृषं हि सुगमोक्त्या ।
विज्ञप्तौ तस्य कृते तत्रायमुपक्रमः श्रेयान् ॥6॥
अन्वयार्थ : सम्पूर्ण जनसमूह धर्म को सुनना चाहता है, परन्तु सरल रीति से सुनना चाहता है। यह बात सर्व विदित है। इसके लिये हमारी यह (नीचे लिखी हुई) कथन शैली अच्छी होगी ।