+ ऐसा न मानने में ४ दोष -
इत्थं नोचेदसतः प्रादुर्भूति र्निरङ्कुशा भवति ।
परत: प्रादुर्भावो युतसिद्धत्वं सतो विनाशो वा ॥9॥
अन्वयार्थ : [इत्थं नोचेत्] यदि ऐसा (ऊपर कही हुई रीति से वस्तु का स्वरूप) न माना जावे तो [असतः प्रादुर्भूति र्निरङ्कुशा भवति] असत्‌ पदार्थ की बिना किसी बाधा के उत्पत्ति होने लगेगी, [परत: प्रादुर्भावो] एक पदार्थ की उत्पत्ति दूसरे पदार्थ से होने लगेगी, [युतसिद्धत्वं] पदार्थ, पदार्थ-विशेष के के संयोग से पदार्थ कहलाएगा [वा] अथवा [सत: विनाश:] सत्‌ के विनाश का प्रसंग आएगा ।