+ असत् पदार्थ की उत्पत्ति में दोष -
असतः प्रादुर्भावे द्रव्याणामिह भवेदनन्तत्त्वम् ।
को वारयितुं शक्तः कुम्भोत्पत्तिं मृदाद्यभावेपि ॥10॥
अन्वयार्थ : [असतः प्रादुर्भावे] असत् की उत्पत्ति होने पर [इह] इसलोक में [द्रव्याणामिह भवेदनन्तत्त्वम्] द्रव्य की उत्पत्ति अनन्तरूप (अमर्यादित) हो जाएगी, और ऐसे में [मृदाद्यभावेपि] मिट्टी आदि उपादान कारणों के नहीं होने पर भी [कुम्भोत्पत्ति] होनेवाले घट की उत्पत्ति को [वारयितुं] निवारण करने के लिए [क शक्तः] कौन समर्थ होगा ?