
परतः सिद्धत्वे स्थादनवस्थालक्षणो महान् दोषः ।
सोपि परः परतः स्यादन्यस्मादिति यतश्च सोपि परः ॥11॥
अन्वयार्थ : वस्तु को पर से सिद्ध मानने पर अनवस्था नामक दोष आता है। यह दोष बड़ा दोष है । वह इस प्रकार आता है कि -- वस्तु जब पर से सिद्ध होगी तो वह पर भी किसी दूसरे पर पदार्थ से सिद्ध होगा | क्योंकि पर-सिद्ध माननेवालों का यह सिद्धान्त है कि हर एक पदार्थ पर से ही उत्पन्न होता है ।