+ सत्‌ का नाश मानने में दोष -
अथवा सतो विनाश: स्यादिति पक्षोपि वाधितो भवति ।
नित्यं यतः कथंचिद्-द्रव्यं सुज्ञै: प्रतीयतेऽध्यक्षात्‌ ॥13॥
अन्वयार्थ : अथवा सत् का नाश हो जायगा यह पक्ष भी सर्वथा बाधित है । क्योंकि द्रव्य कथंचित्‌ नित्य है यह बात विशेष जानकारों को प्रत्यक्ष रुप से प्रतीत है ।