तन्न यतो द्रव्यार्थिकपर्यायार्थिकनयात्मकं वस्तु ।
अन्यतरस्य विलोपे शेषस्यापीह लोप इति दोष: ॥19॥
अन्वयार्थ : शंकाकार का उपर्युक्त कहना ठीक नहीं हैं । क्योंकि वस्तु द्रव्यार्थिक और पर्यायार्थिक नय स्वरूप है । इन दोनों नयों में से किसी एक नय का लोप करने पर दूसरे नय का भी लोप हो जायगा -- यह दोष उपस्थित होता है ।