
प्रतिपक्षमसत्ता स्यात्सत्तायास्तद्यथा तथा चान्यत् ।
नाना रूपत्वं किल प्रतिपक्षं चैकरूपतायास्तु ॥20॥
एक पदार्थस्थितिरिह सर्वपदार्थस्थितोर्विपक्षत्वम् ।
ध्रौव्योत्पादविनाशैस्त्रिलक्षणायास्त्रिलक्षणाभावः ॥21॥
एकस्यास्तु विपक्ष: सत्तायाः स्याददो ह्यनेकत्वम् ।
स्यादप्यनन्तपर्ययप्रतिपक्षस्त्वेकपर्ययत्वं स्यात् ॥22॥
अन्वयार्थ : जिस प्रकार सत्ता का प्रतिपक्ष असत्ता है उसी प्रकार और भी है । नाना रूपता एक रूपता का प्रतिपक्ष है ।
एक पदार्थ की सत्ता, समस्त पदार्थों की सत्ता का विपक्ष है । उत्पाद, व्यय, ध्रौव्य स्वरूप त्रिलक्षणात्मक सत्ता का प्रतिपक्ष त्रिलक्षणाभाव है ।
एक सत्ता का प्रतिपक्ष अनेक है । और अनन्त पर्याय का प्रतिपक्ष एक पर्याय है ।