एतत्पक्षचतुष्टयमपि दुष्टम् दृष्टवाधितत्वाच्च ।
तत्साधकप्रमाणाभावादिह सोप्य दृष्टान्तात्‌ ॥70॥
अन्वयार्थ : ऊपर कहे हुए चारों ही विकल्प दोष सहित हैं, चारों ही विकल्पों में प्रत्यक्ष प्रमाण द्वारा बाधा आती है । तथा न उनका साधक कोई प्रमाण ही है और न उनकी सिद्धि में कोई दृष्टान्त ही है ।