+ उदाहरण -
इदमस्ति यथा मूलं स्कन्ध: शाखा दलानि पुष्पाणि ।
गुच्छा: फलानि सर्वाण्येकालापात्तदात्मको वृक्ष: ॥77॥
अन्वयार्थ : जिस प्रकार जड़, स्कन्ध (पेड़) शाखा, पत्ते, पुष्प, गुच्छा, फल, सभी को मिलाकर एक आलाप (एक शब्द) से वृक्ष कहते हैं | वृक्ष जड़, स्कन्ध, शाखा आदि से भिन्न कोई पदार्थ नहीं है किन्तु इनका समुदाय ही वृक्ष कहलाता है, अथवा वृक्ष को छोड़कर शाखादिक भिन्न कोई पदार्थ नहीं है । इसी प्रकार देश, देशांश, गुण, गुणांश का समूह ही द्रव्य है । द्रव्य से भिन्न न तो देशादिक ही हैं, और देशादि से भिन्न न द्रव्य ही है ।