
समवायः समवायी यदि वा स्यात्सर्वथा तदेकार्थ: ।
समुदायो वक्तव्यो न चापि समवायवानिति चेत् ॥81॥
अन्वयार्थ : समवाय और समवायी अर्थात् गुण और द्रव्य दोनों ही सर्वथा एकार्थक हैं । ऐसी अवस्था में गुण समुदाय ही कहना चाहिये । द्रव्य के कहने की कोई आवश्यकता नहीं है ?