+ सारांश -
अत एव यथा वाच्या देशगुणांशा विशेषरूपत्त्वात् ।
वक्तव्यं च तथा स्यादेकं द्रव्यं त एव सामान्यात् ॥84॥
अन्वयार्थ : उपर्युक्त कथन से यह बात भलीभांति सिद्ध हो चुकी कि विशेष कथन की अपेक्षा से देश, गुण, पर्याय सभी जुदे-जुदे हैं । और सामान्य कथन की अपेक्षा से वे ही सब द्रव्य कहलाते हैं ।