+ सत्‌ गुण भी है और द्रव्य भी है -
लक्ष्यस्य लक्षणस्य च भेदविवक्षाश्रयात्सदेव गुण: ।
द्रव्यार्थादेशादिह तदेव सदिति स्वयं द्रव्यम्‌ ॥88॥
अन्वयार्थ : लक्ष्य और लक्षण की भेद विवक्षा से तो सत्‌ गुण ही है परन्तु द्रव्यार्थिक दृष्टि से वही सत्‌ स्वयं द्रव्य स्वरूप है ।