
तन्न यतोऽस्ति विशेष: सति च गुणानां गुणत्ववत्त्वेऽपि ।
चिदचिद्यथा तथा स्यात् क्रियावती शक्तिरथ च भाववती ॥133॥
तत्र क्रिया प्रदेशो देशपरिस्पन्दलक्षणो वा स्थात् ।
भावः शक्तिविशेषस्तत्परिणामोऽथवा निरंशांशै: ॥134॥
यतरे प्रदेशभागास्ततरे द्रव्यस्य पर्यया नाम्ना ।
यतरे च विशेषांशास्ततरे गुणपर्यया भवन्त्येव ॥135॥
तत एव यदुक्तचरं व्युच्छेदादित्रयं गुणानां हि ।
अनवद्यभिदं सर्व प्रत्यक्षादिप्रमाणसिद्धत्वात् ॥136॥
अथ चैतल्लक्षणमिह वाच्यं वाक्यान्तरप्रवेशेन ।
आत्मा यथा चिदात्मा ज्ञानात्मा वा स एव चैकार्थ: ॥137॥
तद्वाक्यान्तरमेतद्यथा गुणाः सहभुवोऽपि चान्वयिनः ।
अर्थाच्चैकार्थत्वादर्थादेकार्थवाचकाः सर्वे ॥138॥
सह सार्धं च समं वा तत्र भवन्तीति सहभुवः प्रोक्ताः ।
अयमर्थो युगपत्ते सन्ति न पर्यायवत्क्रमात्मान: ॥139॥
अन्वयार्थ : यह कहना ठीक नहीं है, क्योंकि गुणत्व धर्म की अपेक्षा यद्यपि सब गुण गुण हैं तो भी उनमें विशेषता है । जैसे उनमें कोई चेतन गुण हैं और कोई अचेतन गुण हैं; वैसे ही वे क्रियावती शक्ति और भाववती शक्ति के भेद से भी दो प्रकार के हैं ।
उनमें से प्रदेश को या देश परिस्पन्द को क्रिया कहते हैं और शक्ति विशेष को या अविभाग प्रतिच्छेदों के द्वारा होनेवाले उनके परिणाम को भाव कहते हैं ।
इसलिये जितने देश रूप अवयव होते हैं, उतने द्रव्य पर्याय कहलाते हैं और जितने गुणांश होते हैं, उतने गुण-पर्याय कहे जाते हैं ।
इसलिये पहले जो यह कहा गया है कि गुणों में उत्पाद, व्यय और धौव्य ये तोनों होते हैं सो देश परिस्पंद प्रदेशों के आश्रित होने से यहां प्रदेश को भी क्रिया कहा गया है । यह सब कथन प्रत्यक्ष आदि प्रमाणों के द्वारा सिद्ध होने से निर्दोष है ।
अब यहाँ पर दूसरे शब्दों में गुण का लक्षण कहते हैं । जैसे कि आत्मा, चिदात्मा और ज्ञानात्मा ये तीनों पर्याय-वाचक शब्द हैं वैसे ही यह दूसरे शब्दों में कहा जाने वाला गुण का लक्षण भी उसी अर्थ को व्यक्त करता है जिसका कि पहले कथन कर आये हैं ।
गुण का वह लक्षण दुसरे शब्दों में इस प्रकार है कि -- गुण, सहभू, अन्वयी और अर्थ ये सब शब्द एकार्थक हैं अर्थात् ये एक अर्थ के वाचक हैं ।
सह, सार्धं और समं इन तीनों शब्दों का अर्थ एक ही है, इसलिये उक्त शब्दों में से सहभू शब्द का व्युत्पत्ति अर्थ 'जो एक साथ हैं' है । तात्पर्य यह है कि गुण युगपत् हैं पर्यायों के समान क्रम-क्रम से अर्थात् एक के बाद दूसरा इत्यादि क्रम से नहीं होते हैं ।