+ शंका -- द्रव्य में सत्व सर्वथा नित्य और परिणति (उत्पाद-व्यय) उससे सर्वथा भिन्न -
न च सर्वथा हि नित्यं किञ्चित्सत्त्वं गुणो न कश्चिदिति ।
तस्मादतिरिक्तौ द्वो परिणतिमात्रौ व्ययोत्पादौ ॥207॥
अन्वयार्थ : यदि कोई ऐसी आशंका करे कि सत्त्व सर्वथा नित्य है और गुण कोई नहीं है । तथा परिणतिमात्र उत्पाद और व्यय ये दोनों सत्त्व से सर्वथा भिन्न है सो ऐसी आशंक करना भी ठीक नहीं है ।