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शंका -- उत्पाद-व्यय अंश हो सकते हैं, ध्रौव्य नित्य होने से अंश कैसे हो सकता है?
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ननु चोत्पादध्वंसौ द्वावप्यंशात्मकौ भवेतां हि ।
ध्रौव्यं त्रिकालविषयं तत्कथमंशात्मकं भवेदिति चेत् ॥218॥
अन्वयार्थ :
उत्पाद और व्यय इन दोनों को अंशरूप मानने में आपत्ति नहीं है, किन्तु ध्रौव्य त्रिकाल गोचर होने से वह अंशरूप कैसे हो सकता है ?