नैवं यतस्रयोंशा: स्वयं सदेवेति वस्तुतो न सतः ।
नैवार्थान्तरवदिदं प्रत्येकमनेकमिह सदिति ॥219॥
तत्रैतदुदाहरणं यद्युत्पादेन लक्ष्यमाणं सत्‌ ।
उत्पादेन परिणतं केवलमुत्पादमात्रमिह वस्तु ॥220॥
यदि वा व्ययेन नियतं केवलमिह सदिति लक्ष्यमाणं स्यात्‌ ।
व्ययपरिणतं च सदिति व्ययमात्रं किल कथं हि तन्न स्यात् ॥221॥
ध्रौव्येण परिणतं सद्यदि वा ध्रौव्येण लक्ष्यमाणं स्यात्‌ ।
उत्पादव्ययवदिदं स्यादिति तद् ध्रौव्यमात्रं सत्‌ ॥222॥
संदृष्टिर्मृद्‌-द्रव्यं सता घटेनेह लक्ष्यमाणं सत्‌ ।
केवदमिह घटमात्रमसता पिण्डेन पिण्डमात्रं स्यात् ॥223॥
यदि वा तु लक्ष्यमाणं केवलमिह मृच्च मृत्तिकात्त्वेन ।
एवं चैकस्य सतो व्युत्पादादित्रयश्च तत्रांशा: ॥224॥
न पुनः सतो हि सर्गः केनचिदंशैकभागमात्रेण ।
संहारो वा ध्रौव्यं वृक्षे फलपुष्पपत्रवन्न स्यात्‌ ॥225॥
अन्वयार्थ : यह कहना ठीक नहीं है, क्‍योंकि वास्तव में ये तीनों ही सत्‌ के अंश न होकर स्वयं सद्रूप हैं, क्योंकि जैसे पदार्थान्तर प्रथक्‌-प्रथक्‌ होने से अनेक होते हैं, उस प्रकार यह सत्‌ नहीं है ।
इस विषय में यह उदाहरण है कि यदि सत् उत्पादरूप से विवक्षित होता है तब उत्पादरूप से परिणमन करता हुआ वह केवल उत्पाद मात्र कहा जाता है ।
यदि वह केवल व्यय रूप से विवक्षित होता है तब व्यय रूप से परिणमन करने पर वह सत्‌ केवल व्ययमात्र क्‍यों नहीं होगा ?
इसी प्रकार जब वह सत्त्‌ ध्रौव्य रूप से विवक्षित होता है तब ध्रौव्यरूप से परिणमन करता हुआ वह सत्‌ उत्पाद और व्यय के समान केवल धौव्यमात्र होता है ।
उदाहरणार्थ जब मिट्टी विद्यमान घटरूप से विवक्षित होती है तब वह केवल घटमात्र कही जाती है और जब अविद्यमान पिण्डरूप से विवक्षित होती है तब वह केवल पिण्डमात्र कही जाती है ।
अथवा जब वह मिट्टीरूप से विवक्षित होती है तब वह केवल मिट्टीमात्र कही जाती है। इसी प्रकार प्रकृत से भी एक ही सत्‌ के ये उत्पादादिक तीन अंश हैं यह बात सिद्ध होती है ।
जैसे वृक्ष में फल, फूल और पत्ते पृथक्-प्रथक्‌ होते हैं, वैसे ही सत्‌ का किसी एक अंश के द्वारा उत्पाद, किसी एक अंश के द्वारा व्यय और किसी एक अंश के द्वारा ध्रौव्य हो, सो यह बात नहीं है । किन्तु यह बात है कि सत्‌ ही उत्पादरूप है, सत्‌ ही व्ययरूप है और सत् ही ध्रौव्यरूप है । आशय यह है कि जैसे वृक्ष में फल, फूल और पत्ते प्रथक्-प्रथक्‌ रहते हैं, वैसे ही सत्‌ में उत्पाद, व्यय और धौव्य प्रथक्‌-प्रथक्‌ नहीं रहते ।