धंधईं पडियउ सयलु जगु कम्मइं करइ अयाणु ।
मोक्खह कारणु एक्कु खणु णवि चिंतइ अप्पाणु ॥7॥
अन्वयार्थ :
धन्धे मे पडा हुआ सकल जगत अज्ञानवश कर्म तो करता है, परन्तु मोक्ष के कारणभूत अपने आत्मा का चिन्तन एक क्षण भी नहीं करता ।