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गाथा ११-२०
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जं दुक्खु वि तं सुक्खु किउ जं सुहु तं पि य दुक्खु ।
पइं जिय मोहहिं वसि गयउ तेण ण पायउ मोक्खु ॥11॥
अन्वयार्थ :
हे जीव ! मोह के वश में पडकर तूने दु:ख को सुख मान लिया है और सुख को दु:ख मान लिया है, इस कारण तूने मोक्ष नहीं पाया ।