+ गाथा २१-३० -
उम्मूलिवि ते मूलगुण उत्तरगुणहिं विलग्ग ।
वाण्णर जेम पलंबचुय बहुय पडेविणु भग्ग ॥21॥
अन्वयार्थ : जो जीव मूलगुणों का उन्मूलन करके उत्तरगुणों में संलग्न रहता है, वह डाली से चूके हुए बन्दर की तरह नीचे गिरकर नष्ट होता है ।