तिहुवणि दीसइ देउ जिणु जिणवरु तिहुवणु एउ ।
जिणवरि दीसइ सयलु जगु को वि ण किज्जइ भेउ ॥40॥
अन्वयार्थ : तीन-भुवन में देव तो जिनवर ही दिखता है और जिनवरदेव में ये तीन लोक दिखते हैं, जिनवर के ज्ञान में सकल जगत दृष्टिगोचर होता है, उसमें कोई भेद नहीं करना चाहिए ।