मणु मिलियउ परमेसरहो परमेसरु जि मणस्स ।
बिण्णि वि समरसि हुइ रहिय पुज्ज चडावउं कस्स ॥49॥
अन्वयार्थ :
मन तो परमेश्वरमें मिल गया ओर परमेश्वर मन में मिल गया; दोनों एक रस-समरस हो रहे हैं, तब में पूजन सामग्री किसको चढाऊँ ?